पहर की बात
काफ़ी दिनों बाद आज हम वापस आये हैं इस ब्लॉग की धरती पर।
जो मज़ा कम्प्यूटर या लैप्टॉप पर अलग से जुड़ा हुआ की बोर्ड में धाक जमाकर लिखने में है वो इस फ़ोन में कहाँ ये तो बस छोटे मोटे काम के लिए ही बना है चाहे लाखों का छोटू मशीन लेलो। ठंड काफ़ी बढ़ चुकी है सर्दी भी हो गयी थी दूठो cetrizine नामक गोली खाया तो ठीक है पर असली स्वाद अभी भी ग़ायब है,
अभी सिर्फ़ ज़्यादा नमक,ज़्यादा मिर्च और चीनी का ही समझ आ रहा है।
कथित लोगों द्वारा शरीर में पैदा करने वाले तरल पदार्थ तो हमसे बहुत दूर चले गये हैं।
फ़ोन में तो ज़्यादा टाइप नहीं कर पाऊँगा जब हाथ में कम्प्यूटर आएगा या फिर कोई हिंदी में एक्स्पर्ट मिले तो उससे बहुत सारे ब्लॉग बताकर टाइप करवाने की इच्छा है।
राम-राम जय हिंद।
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