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Showing posts from December, 2016

खामोश

चार कपडे ज्यादा और नकाब पहन नुमाइंदो को खामोश कर  जाते है  फिर वो मेरा लिबास उतार कर मुझे बर्फ जैसी बेदाग और सफ़ेद चादरों में लपेट जाते है। 

परेशानी

परेशानी की भी शक्‍ल हो सकती है। कुत्‍ता, तवायफ, चुड़ैल, शैतान...सो जाए या जागता रहे, वो परेशान ही रहता है।

सुबह की चाय

नहीं हूँ परेशां कभी और ख्वाबो के कारोबार का गुमान करता है फिर जाहिर करने के लिए मुख़्तलिफ़ जगहों और वक़्तों का चुनाव करता है 

विदेशी ठण्ड

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सफर दो कदम का मंजिल दूर तलक  सफर का क्या है कहा से शुरू और कहा ख़त्म पता ही नही चलता की आखिर क्या चल रहा है। फ़िलहाल अपना भागदौड़ का सिस्टम खारकीव नामक शहर की यायावर जिंदगानी में दिनचर्या भी काटना ख़ुशी के साथ साथ कुछ वाकया भी सहना पड़ता है जैसे की ठण्ड का मौसम भारी संकट वाला सिस्टम है। घर में तो जैसे भी काट जाता है पर जब बात हो बहार जाना है तो इतना ठण्ड की अब अपने मुल्क से तो भारी है। रस्ते चलते लिए हुए एक फोटो विदेशी ठण्ड 

चाय

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हमारे मुल्क की खास बात हर वक़्त चाय का वक़्त 

सोच

जो सोचना चाहूँ , सोच नहीं पा रहा था सूझ नहीं रहे थे मुझे शब्द काम,हलंत सब गैरहाजिर थे। 

खास यादें

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खास यादें विथ विडियो  ये बात उस समय की है जब हम भिलाई में रहा करते थे तो पता की शादी में जाना है तो अचानक योजना बनी की चला जाए  मैं मेरे दोस्त लोचन सिदार किशोर कका मचान और नीलेश गुरूजी निकले चार पायी की सवार होके बहुत एन्जॉय किये फिर अचानक बीच में तालाब मिला जहाँ नहाने के लिए तैयार हो गए तब मेरे पास नोकिया लुमिया 720 था जिसमे विडियो लिया गया बहुत खास पल थे शायद अब कभी वैसा पॉसिबल हो चाहे हम दुनिया घूम ले पर वैसा मजा वापस नही आ सकते वो तो शुक्र है के टेक्नोलॉजी के चलते खिंच के रख लेते है जो कभी देखे तो यादगार याद, याद आ जाता है। फिर इस विडियो को यूट्यूब में भी डाला था कभी शैतान दिमाग के चलते।  ये लिंक है https://youtu.be/huYqm6df0Lg

चिंतन चिंतामयी

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चिंतन चिंतामयी  चुप भी रहा और बात कही भी  जैसे कि मैं हूँ भी और नहीं भी

तकाजा ब्लूमकारी

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कुछ नये पुराने अंदाजा  आँखों से निकल कर आँसुओं की वापसी कभी नहीं हुई, आंसु  चाहे दुःख - सुख के हों या  # सर्दी के !  😱 😱 (-१०)